Study Jharkhand PSC, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों एवं पाठकों के लिए झारखण्ड का इतिहास के अंतर्गत मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था | Munda Manki Shasan Vyavastha से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें प्रस्तुत कर रहा है। यह आपको JPSC, JSSC एंव अन्य झारखण्ड राज्य आधारित परिक्षाओं मे सहायता करेंगी।
मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था | Munda Manki Shasan Vyavastha
- ग्राम
- पिड़
1. ग्राम
- मुण्डा
- डाकुआ
- दिउरी
- यात्रा दिउरी
1. मुण्डा
हो जनजाती के गाँवों मे गाँव के प्रधान को मुण्डा कहा जाता है। यह पद वंशानुगत होता है। गाँव के प्राकृतिक संसाधनों का स्वामित्व कि जानकारी रखना इनका कर्तव्य होता है। मुण्डा स्वंय मे कोई शक्ति नही रखता बल्कि सामुदायिक शक्ति का प्रतीक होता है जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें विविध कर्तव्यों को निभाने का अधिकार प्राप्त होता है। जैसे - बाहरी मामलों मे गाँव का प्रतिनिधित्व करना, विवादों या समस्याओं का निवारण करना, पर्व – त्योहार की तिथि निश्चित करना ईत्यादि शामिल है।
2. डाकुआ
यह मुण्डा का सहायक होता है एंव उनके निर्देश पर कोई भी बैठक, समारोह, उत्सव, पर्व त्योहार या अन्य अवसर के लिए ग्रामीणों को सूचित कर उन्हें एकत्रित करता है।
3. दिउरी
यह गाँव का धार्मिक प्रधान होता है और समूहिक धार्मिक अनुष्ठान तथा समारोह का संचालन करना इनका कर्तव्य होता है। धार्मिक अपराधों के मामलो को सुलझाता है एंव अरोपित व्यक्ति का दण्ड तय करता है।
4. यात्रा दिउरी
यह दिउरी का सहायक होता है एंव उनके कामों मे सहयोग करता है।
2. पिड़
बाहरी लोगो के हमले और घुसपैठ रोकने के लिए हो जनजातीयों ने 15-20 गाँव को मिलाकर एक संगठन का निर्माण किया जिसे पिड़ कहा जाने लगा और जो सबसे प्रभावशाली और मजबूत प्रधान थे उनकों पिड़ का प्रधान बना दिया गया जिसे मानकी कहा जाने लगा। समय के साथ यह संगठन संस्थागत होते गए।
मानकी
यह पिड़ का प्रधान होता है। जो विवाद या समस्याओं का निवारण ग्राम स्तर कि सभा मे नही हो पता है उनको मानकी के नेतृत्व मे सुलझाने का प्रयास होता है। अंतर ग्राम विवाद को सुलझाने मे इनकी मुख्य भुमिका होती है।
परम्परागत रूप से मुण्डा और मानकी को उनके पद के लिए कोई वितिय प्रावधान नही है परंतु समुदाय के लिए उनकी सेवा के बदले में उन्हें व्यापक सम्मान दिया जाता है।
अंग्रेजों का आगमन
1760 ईस्वी से अंग्रेजों का प्रभाव कोलहान क्षेत्र मे बढ़ने लगता है। उनकी दमनकारी नितियों के परिणाम स्वरूप 1830-32 ईस्वी मे इस क्षेत्र के हो जनजातीयों द्वारा विद्रोह होता है जिसे कोल विद्रोह के नाम से जाना जाता है। हो जनजातीयों के उग्र स्वरूप को देखकर उन्हें लड़ाका कोल की संज्ञा दि जाती है।
कोल विद्रोह के परिणाम स्वरूप इस क्षेत्र को South West Frontier Agency घोषित कर दिया गया। कैप्टन विलकिंसन को अंग्रेजों के ऐजेंट के रूप मे इस क्षेत्र मे भेजा जाता है। कैप्टन विलकिंसन इस क्षेत्र मे नागरिक और न्यायिक प्रशासन का गहन अध्यन करते है और 1837 ईस्वी मे विलकिंसन रूल लागू करते है।
विलकिंसन रूल का पारम्परिक स्व शासन व्यवस्था पर प्रभाव
यह रूल एक तरह से अंग्रेजों और इस क्षेत्र के जनजातीयों के बिच समझौता था जिसमें अंग्रेजों ने कुछ बदलाव के साथ पहले से चली आ रही पारम्परिक स्व शासन व्यवस्था को मन्याता दे दी। विलकिंसन रूल आगे चल कर मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।
विलकिंसन रूल के अंतर्गत कुल 32 प्रावधान लागू किया गया। हो जनजाती के निवास क्षेत्र को Kolhan Government Estate का नाम दिया गया। विलकिंसन रूल लागू होने के बाद हो जनजातियों के जीवन और शासन व्यवस्था काफी प्रभावित हुई।
कोल्हान क्षेत्र मे परम्परागत स्व शासन व्यवस्था के सभी मुण्डा को अपने गाँव का राजा घोषित कर दिया गया। मुण्डा और मानकी के पद को पूर्व कि तरह वंशानुगत कर दिया गया और उनको अतिरिक्त जिम्मेदारी दि गयी।
मुण्डा को अपने गाँव मे प्रत्येक हल के लिए आठ आना कर के रूप मे वसुलने कि जिम्मेदारी दी गयी। वसुले गये कर मे प्रत्येक एक रूपए मे बारह आना के हिसाब से मानकी के पास जमा करना होता था।
मुण्डा द्वारा जमा किए गए कर को अंग्रेजों के सरकारी खजाने मे जमा करने कि जिम्मेदारी मानकी को दी गयी। पारिश्रमिक के तौर पर वसुले गये राजस्व का 16 प्रतिशत मुण्डा को मिलता था और 10 प्रतिशत मानकी को मिलता था। मानकी को अपने अधिनस्त मुण्डाओं पर निगरानी रखने कि जिम्मेदारी भी दि गई।
तहसीलदार का पद सृजीत किया गया और उसे राजस्व वसुली के लिए मानकी का सहयोगी बना दिया गया।
दण्ड के स्वरूप मिले राशि मे आधी राशि डाकुआ को पारिश्रमिक के तौर पर दिया जाता था और आधी राशि गाँव के विकास कार्य मे उपयोग होता था।
ग्राम सभा को निचली अदालत का दर्जा दिया गया जहाँ 300 रूपए से कम के मामलो कि सुनवाई का अधिकार दिया गया। हत्या और डकैती जैसे गम्भीर अपराधों को छोड़ कर सभी मामले परम्परागत तरिके से ही सुलझाने का प्रयास होता था।
मुण्डा और मानकी को अपने क्षेत्र का पुलिस घोषित कर दिया गया। अपने क्षेत्र मे कानून व्यवस्था और शांती बनाए रखने कि जिम्मेदारी मिली। 300 रूपए से उपर के मामले और गम्भीर अपराधों कि सूचना कोल्हान अधिक्षक को देने कि जिम्मेदरी दि गई।
मुण्डा और मानकी के अधिकारों और कर्तव्यों को दर्ज किया गया जिसे हकुकनामा कहा गया। कोल्हान क्षेत्र मे समाजिक, आर्थिक तथा नैतिक विकास के लिए प्रत्येक मुण्डा और मानकी हकुकनामा के शर्तो के अनुसार कार्य करने लगे।
कोल्हान क्षेत्र को हो जनजाती के निवास स्थल के रूप मे मान्यता मिली और बाहरी लोगो द्वारा घुसपैठ और भूमि के कब्जे पर बहुत हद तक अंकुश लग गया।
उम्मीद है आपको मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था | Munda Manki Shasan Vyavastha पर लिखी यह लेख अच्छी लगी होगी और कुछ जानकारी मिली होगी। फिर भी अगर कोई सवाल है तो बेझिझक कॉमेंट मे पुछे। आपकी सहयता करके हमे खुशी मिलेगी। और अंत मे इस पोस्ट को Share करना बिल्कुल न भूले।
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4 Comments
sahi lekh likhe ho bhai.
ReplyDeleteThanks
Deleteexcillent
ReplyDelete32 manki Munda ka prawwadhan kya kya hai detail me bataye please
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